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Boota Singh Tragic Love Story: इस भारतीय सैनिक की रियल स्टोरी है Gadar फिल्म की कहानी, जिसकी दुखद प्रेम कहानी के किस्से पाकिस्तान में भी हैं मशहूर….

Gadar 2 Real story of Boota Singh: यह फिल्म 90 के दशक में पैदा हुए लोगों के जीवन में बहुत महत्व रखती है. सकीना (Amisha Patel) के साथ तारा सिंह (Sunny Deol) की ‘गदर एक प्रेम कथा’ उतनी ही लोकप्रिय है जितनी रोमियो-जूलियट और हीर-रांझा की कहानी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गदर में दिखाई गई भारत-पाकिस्तान की प्रेम कहानी असल जिंदगी की प्रेम कहानी पर आधारित है? आखिर किस किरदार से प्रेरित है गदर फिल्म की कहानी आइये आपको बताते हैं….

Boota Singh
Sunny Deol Amisha Patel in Gadar 2

गदर (Gadar) एक ऐसी फिल्म है जो आज भी हमारे रोंगटे खड़े कर देती है. इस फिल्म को आमिर खान भी लगान (Lagaan) (जो गदर की दिन 2001 में ही रिलीज हुई थी) से कम से कम चार गुना बड़ी मानते हैं. यह फिल्म एक पूर्व सिख सैनिक की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है.

Boota Singh: कौन है Gadar 2 की प्रेम कहानी के असली तारा सिंह

पंजाब के जालंधर में जन्मे बूटा सिंह (Boota Singh) ब्रिटिश सेना के पूर्व सिख सैनिक थे, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लॉर्ड माउंटबेटन की कमान को संभालते हुए बर्मा मोर्चे पर सेवा की थी तब भारत का बटवारा नही हुआ था. बूटा सिंह केवल भारत में ही नहीं बल्कि वह अपनी प्रेम कहानी के कारण पाकिस्तान में भी लोकप्रिय हैं.

Boota Singh ने बचाई थी Zainab की जान

भारत-विभाजन के समय हुई हिंसा के दौरान पूर्वी पंजाब से कई मुस्लिम परिवारों को पाकिस्तान जाने का आदेश दिया गया. इस हिंसा में कई हिन्दू और कई मुस्लमान मारे गये. इस भीड़ में एक मुस्लिम जवान लड़की ज़ैनब को पाकिस्तान जाने वाले लोगों में से किडनैप कर लिया गया था. बूटा सिंह (Boota Singh) ने ज़ैनब (Zainab) नाम की इस पाकिस्तानी लड़की को बचाया था, जिससे बाद में उन्हें प्यार हो गया. बूटा सिंह ने ज़ैनब से शादी की. शादी के बाद इन दोनों की 2 बेटियां हुई. जोड़े ने अपनी बेटियों का नाम तनवीर और दिलवीर रखा.

एक नियम की वजह से बर्बाद हो गई Boota Singh की जिन्दगी

हालाँकि, उनकी प्रेम कहानी तब दुखद हो गई जब विभाजन के दस साल बाद भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने एक संधि (अंतर-डोमिनियन) पर हस्ताक्षर किये. जिसमे दोनों देशों ने अपने परिवारों से बिछड़ी महिलाओं को वापस भेजने का फैसला किया. बूटा और ज़ैनब के दुश्मन भी कम नही थे. किसी ने सर्च टीम को खबर दी कि बूटा ने ज़ैनब को जबरदस्ती अपने साथ रखा है. इसके बाद ज़ैनब को उसकी बड़ी बेटी के साथ पाकिस्तान के एक छोटे से गाँव नूरपुर में वापस भेज दिया गया, जहाँ उसका परिवार रहता था. उधर बूटा सिंह अपनी छोटी बेटी के साथ हिन्दुस्तान में ही रह गये.

 

 

पत्नी के लिए Boota Singh ने कर लिया था धर्म परिवर्तन

कुछ दिन बाद ज़ैनब के निकाह की खबर बूटा सिंह को मिली. तो वह बहुत दुखी हुए. वह अपनी पत्नी, और बेटियों के साथ रहना चाहते थे. बूटा सिंह अपनी पत्नी को वापस लाने के लिए अधिकारियों से अनुरोध करने के लिए दिल्ली गये, लेकिन उनकी बात को किसी ने नही सुना. कोई दूसरा रास्ता नही होने पर, उन्होंने अपनी पत्नी और बेटी को वापस पाने के लिए इस्लाम धर्म अपना लिया और बूटा सिंह से जमील अहमद बन गये. अब उन्होंने अवैध रूप से पाकिस्तान में प्रवेश करने का फैसला किया.

ज़ैनब ने भी कर दिया था बूटा सिंह को पहचानने से इनकार

हालाँकि, जब वह ज़ैनब  के पास उनके घर पहुंचे, तो बूटा सिंह की जैसे दुनिया ही उजड़ गई. ज़ैनब के परिवार ने बूटा सिंह को स्वीकार करने से मना कर दिया और ज़ैनब की शादी उसके चचेरे भाई से करवा दी गई थी. ज़ैनब के घर वालों ने बूटा सिंह की खूब पिटाई की और उसे पुलिस अधिकारियों को सौंप दिया. ज़ैनब पर अपने परिवार का भी दबाव था. उन्होंने अदालत में बूटा सिंह को पहचानने से इनकार कर दिया और उनके साथ भारत वापस जाने से भी इनकार कर दिया और अपनी छोटी बेटी को बूटा सिंह के साथ भेजने को कहा. ज़ैनब ने कहा कि उनका इस आदमी से कोई वास्ता नही है.

पाकिस्तान में Boota Singh को नसीब नही हुई दो गज जमीन

इस मुश्किल समय से आहत बूटा सिंह बिलकुल टूट गये थे. उन्होंने 1957 में अपनी बेटी के साथ पाकिस्तान के शाहदरा स्टेशन के पास आने वाली ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली, लेकिन इस हादसे में उनकी बेटी बच गईं. बूटा सिंह ने मरने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा. जिसमे उन्होंने अपनी आखिरी इच्छा लिखी थी कि उन्हें बर्की गांव में दफनाया जाए जहां उनकी पत्नी ज़ैनब अपने माता-पिता के साथ विभाजन के बाद फिर से बस गई थी. लाहौर में पोस्टमार्टम के बाद उनके शव को उस गांव में ले जाया गया लेकिन ग्रामीणों ने उन्हें बर्की कब्रिस्तान में दफ़नाने  से इनकार कर दिया. बाद में बूटा सिंह को लाहौर के मियानी साहिब कब्रिस्तान में दफनाया गया.

गदर के अलावा बूटा सिंह की दुखद प्रेम कहानी पर बन चुकी कई फिल्में

बूटा सिंह और ज़ैनब की प्रेम कहानी के उपर कई किताबें लिखी गई और फिल्मों के माध्यम से उनकी प्रेम कहानी को फिल्मी पर्दे पर उतारा गया. सिर्फ ‘गदर: एक प्रेम कथा’ ही नही, बल्कि 1999 की शहीद-ए-मोहब्बत बूटा सिंह, में गुरदास मान और दिव्या दत्ता की एक पंजाबी फिल्म भी उनकी वास्तविक जीवन की दुखद प्रेम कहानी पर आधारित है. वास्तव में, वीर ज़ारा (Veer Zara) बूटा सिंह की कहानी से काफी हद तक प्रेरित है. 2007 की कनाडा फिल्म पार्टिशन (Partition) भी इसी कहानी से प्रेरित है. इसके अलावा, इशरत रहमानी का उपन्यास मोहब्बत भी Boota Singh और Zainab की प्रेम कहानी पर आधारित है.

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Chandani Chaurasia

Editor

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